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बैतूल: बीएड छात्र की हत्या का मामला, झूठे आरोप से जेल गए तीन युवकों की हुई रिहाई की तैयारी – Madhya Pradesh Voice

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बैतूल: बीएड छात्र की हत्या का मामला, झूठे आरोप से जेल गए तीन युवकों की हुई रिहाई की तैयारी


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05/10/2024 6:01 PM Total Views: 64190

बैतूल। मोहदा थाने के एक हाई-प्रोफाइल हत्या मामले में नया मोड़ आया है, जब पुलिस ने 10 दिन पहले बीएड छात्र अमित इवने की हत्या के आरोप में गिरफ्तार तीन युवकों को बेगुनाह पाया। यह मामला तब तूल पकड़ गया जब की अमित का शव ताप्ती नदी में मिला और स्थानीय ग्रामीणों ने इसे हत्या बताकर प्रदर्शन शुरू कर दिया था।

मामला क्या था?

17 सितंबर को अमित इवने के पिता अनिल इवने ने मोहदा थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई थी कि अमित 15 सितंबर को रात को अपनी बुआ के घर जाने की बात कहकर निकला, लेकिन अगले दिन वापस नहीं आया। तलाश करने पर उसका शव ताप्ती नदी में मिला। इससे तुरंत ही पुलिस ने मर्ग जांच शुरू कर दी।

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शुरुआती जांच और गिरफ्तारियाँ

इस मामले में पुलिस ने ग्राम पालंगा के रमेश और कमल से पूछताछ की, जिन्होंने हत्या का आरोप बनाते हुए रोहित सलामे, अमर मर्सकोले और युवराज मर्सकोले का नाम लिया। उनके बयान पर पुलिस ने 24 सितंबर को तीनों युवकों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया।

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सच का खुलासा

हालांकि, जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ी, यह बात सामने आई कि रमेश और कमल ने अपने बयान में दबाव के तहत झूठा आरोप लगाया था। उनकी शिकायत के अनुसार, अमित की हत्या वास्तव में एक हादसा थी।

एसडीओपी भूपेंद्र सिंह मौर्य के अनुसार: गहन पूछताछ के बाद रमेश और कमल ने कुबूल किया कि अमित की मृत्यु बिजली के नंगे तार की चपेट में आने से हुई थी। घबराकर उन्होंने शव को नदी में फेंक दिया और तीन निर्दोष युवकों पर आरोप लगाया।

समाज में छाया तनाव

इस मामले ने ग्रामीणों में भारी आक्रोश पैदा कर दिया था, जिसके परिणामस्वरूप प्रदर्शन हुए और उन्होंने आरोपियों की गिरफ्तारी की मांग की। दामजीपुरा और मोहदा में जनता ने सड़कों पर उतरकर विरोध प्रदर्शन किया। इस मामले में बैतूल जिले में कांग्रेस नेता रामू टेकाम के नेतृत्व में भी उग्र प्रदर्शन हुए थे।

अब आगे क्या?

नए सबूतों के आधार पर पुलिस ने रमेश और कमल के खिलाफ मामला दर्ज किया है और उन्हें गिरफ्तार किया है। एसपी निश्चल झरिया के अनुसार, अब जेल में बंद तीन युवकों को रिहा करने की प्रक्रिया की जा रही है। यह मामला न केवल न्याय प्रणाली पर प्रश्न चिह्न लगाता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि किस तरह से सामाजिक दबाव और झूठे बयानों के चलते निर्दोष लोगों को फंसाया जा सकता है।

इस घटना ने यह साबित कर दिया है कि बिना उचित जांच के किसी व्यक्ति को दोषी ठहराना कितना मुश्किल हो सकता है। आने वाले दिनों में यह देखना होगा कि पुलिस किस प्रकार इस मामले में न्याय सुनिश्चित करती है और दोषियों को सजा दिलाती है। बैतूल में प्रदर्शनों की आग और बढ़ सकती है, यदि दोषियों को उचित सजा नहीं मिलती और सामाजिक विश्वास को बहाल करने में समय लगता है।

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