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कांग्रेस नेता नारायण खातरकर के विवादास्पद बयान से मचा राजनीतिक भूचाल: दिवंगत भाजपा नेता की प्रतिष्ठा पर उठाए सवाल!


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03/03/2025 1:12 AM Total Views: 261074

नारायण खातरकर के विरुद्ध विधि अनुसार कठोर कार्यवाही की जाए, ताकि भविष्य में कोई भी व्यक्ति बिना प्रमाण किसी की प्रतिष्ठा को धूमिल न कर सके — किरण

बैतूल/सारनी। राजनीति में नैतिकता और मर्यादा की सीमाएं कब लांघ दी जाती हैं, यह तब स्पष्ट होता है जब किसी दिवंगत व्यक्ति की प्रतिष्ठा पर सार्वजनिक रूप से प्रहार किया जाता है। कांग्रेस नेता नारायण खातरकर द्वारा जारी किए गए एक प्रेस नोट ने न केवल स्वर्गीय रविंद्र देशमुख की छवि को धूमिल करने का प्रयास किया, बल्कि संपूर्ण कुनबी समाज की गरिमा पर भी कुठाराघात किया है।

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▍विवादित बयान और उसके निहितार्थ

दिनांक 24 फरवरी 2025 को कांग्रेस सेवादल के ब्लॉक अध्यक्ष नारायण खातरकर द्वारा जारी किए गए बयान में स्व. रविंद्र देशमुख पर गंभीर आरोप लगाए गए। कथित तौर पर, उन्होंने दिवंगत नेता को बीसी (कमेटी), ब्याज एवं आईपीएल सट्टे में संलिप्त बताते हुए व्यापारियों के 8 से 10 करोड़ रुपये डूबने का आरोप लगाया। इसके अतिरिक्त, उन्होंने यह भी दावा किया कि कुछ समाजों को राजनैतिक रूप से दरकिनार कर दिया गया है, जिससे क्षेत्र में सामाजिक असंतोष पनप रहा है।

▍परिवार और समाज का आक्रोश

इस बयान के बाद, स्वर्गीय देशमुख की पत्नी किरण देशमुख ने थाना प्रभारी, सारनी को एक लिखित शिकायत सौंपी, जिसमें इन आरोपों को निराधार, भ्रामक एवं मानहानिपूर्ण बताया गया। उन्होंने पुलिस प्रशासन से मांग की कि नारायण खातरकर के विरुद्ध विधि अनुसार कठोर कार्यवाही की जाए, ताकि भविष्य में कोई भी व्यक्ति बिना प्रमाण किसी की प्रतिष्ठा को धूमिल न कर सके।

▍किरण देशमुख का कहना है कि

“मेरे पति का राजनीतिक और सामाजिक जीवन निष्कलंक था। यदि नारायण खातरकर के पास कोई ठोस प्रमाण हैं, तो उन्हें सार्वजनिक करें अन्यथा ऐसे मनगढ़ंत आरोप लगाना कानूनन अपराध की श्रेणी में आता है। यह न केवल मेरे पति की छवि खराब करने का प्रयास है, बल्कि पूरे कुनबी समाज को अपमानित करने का भी षड्यंत्र है।”

▍मानसिक राजनीतिक और कानूनी पहलू

यह मामला केवल व्यक्तिगत आरोप-प्रत्यारोप तक सीमित नहीं है, बल्कि भारतीय दंड संहिता की धारा 500 (मानहानि), धारा 505 (अफवाह फैलाना) और आईटी एक्ट की विभिन्न धाराओं के अंतर्गत आपराधिक आचरण की श्रेणी में आता है। यदि पुलिस प्रशासन इस पर संज्ञान लेता है, तो नारायण खातरकर पर कानूनी शिकंजा कस सकता है।

इसके अलावा, इस मामले में राजनीतिक प्रभाव भी देखा जा रहा है। कुछ विश्लेषकों का मानना है कि स्व. रविंद्र देशमुख की लोकप्रियता को देखते हुए, कांग्रेस नेता आगामी चुनावी समीकरणों को प्रभावित करने के लिए इस तरह के बयान जारी कर रहे हैं।

▍मानसिक प्रेस नोट का विश्लेषण और कांग्रेस में अंतर्विरोध

खातरकर द्वारा जारी किए गए प्रेस नोट से यह भी स्पष्ट होता है कि कांग्रेस के भीतर जातिगत संतुलन और राजनीतिक समीकरणों को लेकर गहरी असहमति है। उनके बयान से ऐसा प्रतीत होता है कि अनुसूचित जाति के नेताओं को आगे बढ़ाने के लिए, कुनबी समाज के प्रभाव को कमजोर करने की कोशिश की जा रही है।

▍मानसिक खातरकर ने अपने बयान में लिखा

“कांग्रेस को सिर्फ कुनबी समाज पर ध्यान केंद्रित नहीं करना चाहिए, बल्कि अन्य समाजों को साथ लेकर आगे बढ़ना चाहिए, ताकि पार्टी का जनाधार व्यापक हो सके।”

इस बयान के माध्यम से, उन्होंने कांग्रेस के कुनबी समाज के नेताओं पर सीधा निशाना साधते हुए पार्टी के भीतर ही एक सामाजिक विभाजन को उजागर कर दिया है।

▍मानसिक क्या होगी आगे की कार्रवाई?

अब यह देखना दिलचस्प होगा कि पुलिस प्रशासन इस शिकायत पर कितनी तत्परता दिखाता है। यदि नारायण खातरकर के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज होती है, तो यह मामला केवल राजनीतिक बयानबाजी तक सीमित न रहकर कानूनी जटिलताओं में उलझ सकता है।

इसके साथ ही, इस घटना ने एक बार फिर यह स्पष्ट कर दिया कि राजनीति में वैचारिक मतभेदों के बजाय व्यक्तिगत हमलों का दौर तेज हो गया है। जब तक प्रशासन और न्यायपालिका इस तरह की घटनाओं पर कठोर कार्रवाई नहीं करती, तब तक लोकतांत्रिक विमर्श की गरिमा और समाज की एकता को खतरा बना रहेगा।

अब यह जनता को तय करना होगा कि क्या इस तरह के अनर्गल आरोपों को सहन किया जाए या फिर सत्य की रक्षा के लिए आवाज बुलंद की जाए।

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