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चोपना में स्वास्थ सेवाओं का हाहाकार: सांप के काटने से युवती की मौत, आयुष्मण केंद्र भी विरान – Madhya Pradesh Voice

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चोपना में स्वास्थ सेवाओं का हाहाकार: सांप के काटने से युवती की मौत, आयुष्मण केंद्र भी विरान


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19/06/2025 2:47 PM Total Views: 244906

बैतूल। घोड़ाडोंगरी ब्लॉक के चोपना क्षेत्र के बादलपुर गाँव में सोमवार की रात 3 बजे एक युवा जीवन की आँखें हमेशा के लिए बंद हो गईं। 18 वर्षीय वर्षा विश्वास (पिता जगन्नाथ विश्वास) को कोबरा सांप ने डस लिया। युवती अपने रिश्तेदार बुआ के घर ग्राम कोलिया मेहमान गई हुई थी जहां यह घटना घटी। परिजनों ने उसे तत्काल पाढर अस्पताल ले जाने की कोशिश की, मगर रास्ते में ही वर्षा की मौत हो गई। यह घटना सिर्फ़ एक दर्दनाक दुर्घटना नहीं, बल्कि एक भयावह सच्चाई का प्रमाण है – चोपना क्षेत्र में स्वास्थ्य सेवाओं का अभाव और प्रशासन की घोर लापरवाही।

वर्षा, अपने परिवार की एकमात्र कमाऊ सदस्य थी। सात साल पहले अपने पिता को खो चुके इस परिवार की जिम्मेदारी वर्षा के कंधों पर थी। 11वीं कक्षा तक पढ़ाई करने के बाद वह सिलाई का काम करके परिवार का भरण-पोषण कर रही थी। वर्षा की असामयिक मौत से परिवार पर दुःखों का पहाड़ टूट पड़ा है, और इस दुख में उनकी माँ अनीता विश्वास की पीड़ा अकथनीय है जो मजदूरी करके परिवार का पालन-पोषण कर रही हैं।

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चोपना: जहाँ जंगल का डर और प्रशासन की उदासीनता साथ-साथ चलती है

चोपना क्षेत्र सतपुड़ा के घने जंगलों से लगा हुआ है, जहाँ सांप काटने की घटनाएँ सामान्य हैं। लगभग 60 आदिवासी और बंगाली गाँवों की आबादी के लिए नाममात्र के उप स्वास्थ्य केंद्र हैं, जहाँ न डॉक्टरों की उपलब्धता है और न ही पर्याप्त सुविधाएँ। बारिश के मौसम में तो सड़कें बंद हो जाने से हालात और भी गंभीर हो जाते हैं, जिससे समय पर इलाज मिल पाना असंभव हो जाता है। इसके अलावा, जागरूकता की कमी के कारण कई लोग सर्पदंश के बाद आधुनिक चिकित्सा के बजाय झाड़-फूंक का सहारा लेते हैं, जो अक्सर जानलेवा साबित होता है।

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आयुष्मान भारत केंद्र: एक सपना अधूरा, एक वादा टूटा

लाखों रुपये की लागत से बना आयुष्मान भारत आरोग्य मंदिर 10 बेड के साथ वीरान पड़ा है। यह केंद्र सालों से बंद पड़ा है, जो प्रशासन की उदासीनता और लापरवाही का प्रमाण है। दुर्गापुर, चोपना (1, 2, 3), चोपना वनग्राम, पूंजी, कोलिया (1, 2) – इन लगभग आठ गाँवों की आबादी को प्राथमिक उपचार तक नहीं मिल पा रहा है। पहले यहाँ सीएचओ और एक एएनएम हुआ करती थीं, लेकिन अब वो भी नहीं आती हैं। इसलिए लोगों को या तो महंगे प्राइवेट डॉक्टरों का सहारा लेना पड़ता है या फिर 20 किलोमीटर दूर घोड़ाडोंगरी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र जाना पड़ता है, जहाँ समय पर पहुँचना मुश्किल है।

वर्षा की मौत एक सवाल है, एक चुनौती है!

वर्षा की मौत सिर्फ एक व्यक्तिगत दुख नहीं, बल्कि एक ज्वलंत मुद्दा है जो स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली और प्रशासन की लापरवाही को उजागर करता है। क्या वर्षा की जान बचाई जा सकती थी? क्या चोपना क्षेत्र के लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएँ मिलनी चाहिए थीं? यह सवाल अब सरकार और प्रशासन के समक्ष एक चुनौती के रूप में खड़ा है। क्या वे इस चुनौती का सामना करेंगे और चोपना क्षेत्र के लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएँ प्रदान करने के लिए ठोस कदम उठाएँगे? वर्षा की मौत व्यर्थ न जाए, इसके लिए तत्काल कदम उठाने की आवश्यकता है।

इनका कहना है :—

उपस्वास्थ्य केंद्र में डॉक्टर की नियुक्ति नहीं होती है, सीएचओ और एएनएम की नियुक्ति होती है। हमने इसे प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के लिए प्रपोजल बनाकर भेजा है और शासन की तरफ से पास भी हो गया है मगर अभी तक आदेश जारी नहीं हुआ है। मौसम को देखते हुए सर्पदंश के लिए घोड़ाडोंगरी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में एंटीवेनम उपलब्ध है। बादलपुर गांव की रहने वाली वर्षा को अगर समय रहते उपचार मिल जाता तो उसे बचाया जा सकता था। हमारा सभी लोगों से अपील है कि सर्पदंश होने पर झाड़-फूंक में समय गवने की वजह समय पर उपचार के लिए मरीज को स्वास्थ्य केंद्र लेकर आए ताकि उसकी जान बचाई जा सके।

डॉ. संजीव शर्मा, बीएमओ घोड़ाडोंगरी

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