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भोपाल में ऐतिहासिक कदम: निजी स्कूल का संचालन अब शिक्षा विभाग करेगा, बच्चों के भविष्य की सुरक्षा के लिए बड़ा फैसला – Madhya Pradesh Voice

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भोपाल में ऐतिहासिक कदम: निजी स्कूल का संचालन अब शिक्षा विभाग करेगा, बच्चों के भविष्य की सुरक्षा के लिए बड़ा फैसला


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03/10/2024 8:41 PM Total Views: 64241

भोपाल। राजधानी भोपाल में पहली बार किसी निजी स्कूल का संचालन जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा किया जाएगा। गौरतलब है कि भोपाल के जिस निजी स्कूल में 3 साल की बच्ची से रेप हुआ था, वो स्कूल एक-दो दिन में फिर खोला जाएगा। अब इसका संचालन जिला शिक्षा अधिकारी करेंगे। स्कूल में 324 बच्चे पढ़ते हैं। स्कूल की मान्यता अगले सत्र से रिन्यू नहीं की जाएगी।

मामला सामने आने के बाद सील कर दिया था स्कूल

गौरतलब है की राजधानी के एक निजी स्कूलों में शिक्षक द्वारा एक मासूम बच्ची के साथ गलत काम करने का मामला सामने आया था। इसके बाद प्रशासन ने स्कूल को पूरी तरह से सील कर दिया था और अपने कब्जे में ले लिया था। 6 सदस्यीय जांच कमेटी की रिपोर्ट मिलने के बाद कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह ने सरकार को प्रस्ताव भेजा है कि स्कूल का संचालन डीईओ करें। जांच के लिए दो टीमें बनाई गई थीं। पहली जांच रिपोर्ट में बच्चियों की सुरक्षा को लेकर स्कूल प्रबंधन की बड़ी लापरवाही सामने आई थी। वहीं, दूसरी 7 सदस्यीय कमेटी ने स्कूल के संचालन को लेकर अपनी रिपोर्ट कलेक्टर को दी।

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नियम में है कि शासन चला सकता है स्कूल

जिला शिक्षा अधिकारी नरेंद्र अहिरवार ने बताया कि भोपाल में पहली बार कोई प्राइवेट स्कूल की कमान सरकारी हाथ में लेंगे। हालांकि, नियम है कि यदि किसी प्राइवेट स्कूल में ऐसा होता है तो उसके संचालन की कमान हम ले सकते हैं। उन्होंने बताया, संकुल प्राचार्य या किसी सरकारी स्कूल के प्राचार्य एक-दो दिन में ही संचालन की व्यवस्था सौंप देंगे। स्कूल प्रबंधन से चर्चा कर रहे हैं। इसके बाद स्कूल खोला जाएगा। स्कूल में कुल 324 बच्चे पढ़ते हैं। इनमें से 79 ऐसे हैं, जिनका आरटीई (राइट टू एजुकेशन) में एडमिशन हुआ है। बीच सत्र में स्कूल बंद होने से सभी बच्चों को परेशानी हो सकती थी। उनका एक साल बिगड़ जाएगा। स्कूल खुले पांच महीने हो चुके हैं। यानी, आधा शिक्षा सत्र। ऐसे में बच्चों का कहीं एडमिशन भी नहीं हो सकता। स्कूल को बंद रखते हैं तो बच्चों का एक साल खराब हो जाएगा। दूसरी तरफ, कई शिक्षकों का पढ़ाई का तरीका बच्चों को बेहतर लगता है। बच्चों की पढ़ाई प्रभावित न हो, इसलिए जांच टीम ने प्लान तैयार किया। यही कलेक्टर को सौंपा गया।

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