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रविंद्र देशमुख आत्महत्या मामले में माहौल गर्म: व्यापारी और समाज संगठनों का बंद का आह्वान सफल, प्रशासन की लापरवाही से समाज में रौष – Madhya Pradesh Voice

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रविंद्र देशमुख आत्महत्या मामले में माहौल गर्म: व्यापारी और समाज संगठनों का बंद का आह्वान सफल, प्रशासन की लापरवाही से समाज में रौष


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18/11/2024 7:18 PM Total Views: 63848

बैतुल/सारणी। रविंद्र देशमुख आत्महत्या मामले ने नगर पालिका क्षेत्र में उथल-पुथल मचा दी है। मामले में आरोपियों की गिरफ्तारी न होने के चलते व्यापारी और सामाजिक संगठनों ने एकजुट होकर न्याय की मांग की है। सोमवार को सारणी, पाथाखेड़ा और बागडोना में पूर्ण बंद का आह्वान किया गया, जिसे सभी वर्गों का व्यापक समर्थन प्राप्त हुआ। बंद के आह्वान का व्यापारी वर्ग ने समर्थन करते हुए अपनी दुकानों को बंद रखा और इस मुद्दे पर एकजुटता दिखाई। व्यापारियों ने कहा कि जब तक आरोपियों को नहीं पकड़ा जाता और परिवार को न्याय नहीं मिलता, तब तक उनका समर्थन जारी रहेगा।

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लोह्णरी कुनबी समाज ने भी इस दौरान सक्रियता दिखाई और पुलिस महानिरीक्षक के नाम सारनी थाना प्रभारी को ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन सौपते हुए लोह्णरी कुनबी समाज के अध्यक्ष विजय पलक ने कहा कि भाजपा नेता स्व रविन्द्र देशमुख की आत्महत्या की गुत्थी अब भी सुलझ नहीं पाई है। उनके सुसाइड नोट में जिक्र किए गए 10 आरोपियों में से 6 को गिरफ्तार किया गया है, लेकिन मुख्य आरोपियों रंजीत सिंह, नाजिया बानो, प्रकाश शिवहरे और कारण सूर्यवंशी अब भी फरार चल रहे हैं। जो पिछले 45 दिनों से पुलिस की पकड़ से दूर हैं। सुसाइड नोट में स्पष्ट रूप से लिखा गया कि आरोपियों द्वारा लगातार चरित्र में लांछन लगाने के लिए परेशान किया गया और बार बार बड़ी रकम की डिमांड की जाती रही। रविंद्र देशमुख ने भाजपा के कई नेताओं के खिलाफ 25 लाख रुपये की मांग को लेकर गंभीर आरोप लगाए थे, जिनमें से उन्होंने कुछ राशि भी दी थी।

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आरोपियों ने 5 अगस्त को 50 लाख रुपये की और डिमांड की थी, और उनके अपात्र होने पर झूठी शिकायत भी कर दी। इन सभी घटनाओं के चलते रविंद्र देशमुख को मानसिक तनाव हुआ, जिसके फलस्वरूप उन्होंने आत्महत्या का कदम उठाया। अब उनके परिवार की स्थिति कितनी दयनीय हो गई है, इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। वे अपने पिता, पति और बेटे को खो चुके हैं।

स्थानीय कुंबी समाज और अन्य सामाजिक संगठनों ने कई बार प्रशासन को ज्ञापन सौंपे, लेकिन सरकारी तंत्र की सुस्ती और लापरवाही ने लोगों को परेशान कर दिया है। परिवार पर दबाव बनाने के लिए नकाबपोश लोगों द्वारा उनके घर के आसपास रात्रि में रेकी की जा रही है, लेकिन सुरक्षा व्यवस्था की स्थिति बेहद कमजोर है। क्या ये आरोपियों की राजनीतिक रसूखदार छवि का नतीजा है?

कुंबी समाज के लगभग 7 लाख सदस्यों ने इस मुद्दे को लेकर प्रशासन की खामियों पर नाराजगी जताई है। यदि आरोपियों की जल्द गिरफ्तारी नहीं हुई, तो सामाजिक संगठनों द्वारा बड़े पैमाने पर आंदोलन की चेतावनी दी गई है। समाज का यह सवाल है कि जब भगोड़े आरोपियों पर इनाम राशि घोषित की गई है, तो उनके पोस्टर सार्वजनिक स्थानों पर क्यों नहीं लगाए जा रहे है?

सामाजिक संगठनों के पदाधिकारियों का कहना है कि यह समय है जब प्रशासन को गंभीरता से कार्रवाई करनी चाहिए। यदि जल्द ही उचित कदम नहीं उठाए गए, तो आंदोलन और प्रदर्शन की संभावना बढ़ सकती है। समाज इस बात पर एकजुट है कि न्याय ना मिलने तक वे चुप नहीं बैठेंगे।

इस प्रकार, रविंद्र देशमुख आत्महत्या मामला अब न केवल एक व्यक्तिगत त्रासदी बन चुका है, बल्कि समाज में गहरी चिंता और आक्रोश का कारण भी बनता जा रहा है। सभी की निगाहें अब प्रशासन पर टिकी हैं कि वे आरोपियों को गिरफ्तार कर न्याय की दिशा में कदम बढ़ाएंगे।

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