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आंगनबाड़ी केंद्रों में नौनिहालों से मुंह मोड़ती सरकार? कुपोषण से जंग में पलीता लगा रहीं बाल विकास अधिकारी – Madhya Pradesh Voice

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आंगनबाड़ी केंद्रों में नौनिहालों से मुंह मोड़ती सरकार? कुपोषण से जंग में पलीता लगा रहीं बाल विकास अधिकारी


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22/08/2025 11:04 AM Total Views: 270961

सरकारी योजनाओं को लगातार पलीता लगा रही परियोजना प्रभारी संगीता और पर्यवेक्षक रश्मि फिर भी जिम्मेदार मौन…?

बैतूल/सारणी। मध्य प्रदेश सरकार जहां एक ओर नौनिहालों और गर्भवती महिलाओं के स्वास्थ्य को लेकर चिंतित है और उनके लिए कल्याणकारी योजनाएं चला रही है, वहीं दूसरी ओर बैतूल जिले के सारणी क्षेत्र में महिला एवं बाल विकास विभाग के अधिकारी और कर्मचारी इन योजनाओं को पलीता लगा रहे हैं।

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आरोप है कि जिला कलेक्टर, एसडीएम, जिला कार्यक्रम अधिकारी और प्रशासनिक अधिकारियों की लापरवाही के कारण सारणी में आंगनबाड़ी कार्यकर्ता से पर्यवेक्षक, फिर पर्यवेक्षक से प्रभारी परियोजना अधिकारी बनी संगीता धुर्वे और शोभापुर-पाथाखेड़ा पर्यवेक्षक रश्मि अकोदिया सहित आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और सहायिका मनमानी कर विभाग को चूना लगा रही हैं। योजनाओं को पलीता लगाने में भी कोई कसर नहीं छोड़ रही हैं।

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ताले लटकते आंगनबाड़ी केंद्र, नदारद बच्चे

इसका अंदाजा 12 बजते ही आंगनबाड़ी केंद्रों पर हर रोज लटक रहे तालों और केंद्र में बच्चों की अनुपस्थिति से लगाया जा सकता है। क्षेत्र के विभिन्न आंगनबाड़ी केंद्रों की स्थिति इनदिनों बदतर दिख रही है। मनमर्जी से इनका खुलना और बंद होना आम बात हो गई है। इसलिए सारणी के अधिकांश केंद्र रामभरोसे चल रहे हैं। यहां पिछले कई दिनों से आंगनबाड़ी केंद्रों पर मिलने वाली सुविधाएं बच्चों को नहीं मिल रही हैं। ऐसे में नौनिहाल और गर्भवती महिलाओं को सरकार की योजनाओं का कैसे लाभ मिल सकता है?

पेट भरती नजर आ रहीं आंगनबाड़ी कार्यकर्ता

इस तरह तो आंगनबाड़ी परियोजना प्रभारी अधिकारी और पर्यवेक्षक से लेकर वर्कर व हेल्पर अपना पेट भरती नजर आ रही हैं, क्योंकि उन्हें किसी भी प्रशासनिक अधिकारी के निरीक्षण का डर नहीं है।

78 में से 30 केंद्र अनियमित

सारणी परियोजना में कुल 78 आंगनबाड़ी केंद्र संचालित हो रहे हैं, जिसमें सारणी, पाथाखेड़ा, शोभापुर सेक्टर के 30 आंगनबाड़ी केंद्र ऐसे हैं, जो समय पर नहीं खुल रहे हैं। स्थिति यह है कि केंद्रों के खुलने का समय सुबह 9 से दोपहर 4 बजे तक का है, लेकिन केंद्र पर पदस्थ कार्यकर्ता और सहायिका खुलने और बंद होने के समय के बीच कभी भी एक से दो घंटे के बीच केंद्र पर अपनी ड्यूटी करके चली जाती हैं। ऐसी स्थिति में कई बार तो बच्चे और अभिभावक केंद्र पर ताला लगा हुआ देखकर वापस लौट जाते हैं।

निरीक्षण करने नहीं आते अधिकारी

वहीं स्थानीय लोगों का कहना है कि क्षेत्र की आंगनबाड़ी केंद्रों पर संबंधित विभाग का कोई अधिकारी निरीक्षण करने के लिए नहीं आता है। इस कारण आंगनबाड़ी केंद्रों पर पदस्थ कर्मचारियों के हौसले बुलंद हैं। वहीं इनके द्वारा बच्चों को खाने के लिए पोषण आहार नहीं दिया जा रहा है।

औपचारिकता के लिए खुलते हैं केंद्र

स्थानीय लोगों की मानें तो आंगनबाड़ी केंद्र महज औपचारिकता के लिए खुलते हैं। इसमें भी बच्चों की संख्या बहुत कम होती है। इसके अलावा इन केंद्रों पर शासन की ओर से जो सामान दिया गया है, उनको परियोजना प्रभारी अधिकारी और पर्यवेक्षक के संरक्षण में कार्यकर्ता और सहायिका ने अपने घर पर रखे हुए हैं, जिसका उपयोग बच्चों की जगह उनके परिजन कर रहे हैं।

उद्देश्य हुआ विफल

शासन द्वारा यहां के नौनिहालों के शारीरिक और मानसिक विकास कि दिशा में और नौनिहालों को उचित पोषक आहार के साथ अच्छी प्रारंभिक शिक्षा मिल सके इसके लिए क्षेत्र में आंगनबाड़ी केंद्र खोले थे, लेकिन केंद्र पर कार्यरत कार्यकर्ता और सहायिका के साथ प्रभारी परियोजना अधिकारी और पर्यवेक्षक की अनदेखी के कारण आंगनबाड़ी केंद्र समय पर नहीं खुल रहे हैं। स्थिति यह है कि केंद्र के गेट पर ताले लटकते रहते हैं, जिसके कारण बच्चों के अभिभावकों को परेशानियों का सामना करना पड़ता हैं।

ऐसा भी नहीं हैं कि आंगनबाड़ी केंद्र में बरती जा रही लापरवाही की खबर जिला कलेक्टर सहित विभागीय अफसरों को होने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं की गई। ऐसा लगता है कि जिला प्रशासन भी इस भ्रष्टाचार में शामिल है।

पोषण आहार का होता है दुरुपयोग

स्थानीय लोगों ने जानकारी देते हुए बताया कि इलाके में संचालित कई आंगनबाड़ी केंद्र कभी-कभार ही खुलते हैं। इस कारण से बच्चों को शासन की ओर से मिलने वाला पोषण आहार भी नहीं मिल पा रहा है। वहीं आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और सहायिका द्वारा बाजार में बेच दिया जाता है। इसके अलावा जो पोषण आहार एक्सपायरी हो जाता है, उसको केंद्र के कर्मचारी कचरे और मवेशियों को फेंक देते हैं।

सबसे अहम बात यह है कि यहां पर संबंधित लापरवाह पर्यवेक्षक प्रभारी अधिकारी संगीता और शोभापुर-पाथाखेड़ा कि पर्यवेक्षक जांच करने के लिए नहीं आती हैं। इस कारण से आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के हौंसले बुलंद हैं।

जिम्मेदारों पर कार्रवाई कब?

अब सवाल यह उठता है कि इन लापर वाह अधिकारियों और कर्मचारियों पर कार्रवाई कब होगी? क्या जिला प्रशासन इस मामले पर कोई संज्ञान लेगा या फिर बच्चों का भविष्य यूं ही अंधकार में डूबा रहेगा?

इनका कहना है

  • अगर सारनी परियोजना के अंतर्गत तीनों सेक्टर में आंगनबाड़ी केंद्र समय पर नहीं खुल रहें है तो जांच कर संबंधित पर कार्रवाई की जाएगी।

🔹प्रपंज आर, एसडीएम शाहपुर

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